शब्द का अर्थ
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धनंजय :
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वि० [सं० धन√जि (जीतना)+खच्, मुम्] धन जीतने अर्थात् प्राप्त करनेवाला। पुं० १. विष्णु। २. अग्नि। आग। ३. चित्रक या चीता नाम का वृक्ष। ४. पाँचों पांडवों में के अर्जुन का एक नाम। ५. अर्जुन वृक्ष। ६. एक नाग जो जलाशयों का अधिपति कहा गया है। ७. शरीर में रहनेवाली पाँच वायुओं में से एक जिसकी गिनती उप-प्राणों में होती है और जिसमें जँभाई आती है। ८. एक गोत्र का नाम। ९.सोलहवें द्वापर के व्यास का नाम। |
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धनंतर :
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पुं० [सं० धन्वंतरु=सोम का एक भेद] एक प्रकार का पौधा जिसकी पत्तियाँ मोटी और फूल नीले होते हैं। पुं०=धन्वंतरि।a |
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धन :
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पुं० [सं०√धन (शब्द)+अच्] १. वह मूल्यवान पदार्थ, जिससे जीवन निर्वाह में यथेष्ट सहायता मिलती हो और जिसे अर्जित या प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना और पूँजी तथा समय लगाना पड़ता हो। जैसे—खेत, जमीन, मकान, रुपया-पैसा आदि। २. यथेष्ट मात्रा या संख्या में उक्त प्रकार की कोई चीज। उदा०—गो-धन, गज-धन, बाजि-धन और रतन-धन खान। जब आवै संतोष-धन सब धन धूरि समान।—तुलसी। ३. लोक-व्यवहार में मुख्य रूप से चांदी, ताँबे सोने आदि के सिक्के। रुपया-पैसा। जैसे—व्यापार में धन लगाना। क्रि० प्र०—कमाना।—भोगना।—लगाना। ४. प्राणों के समान परम प्रिय व्यक्ति। जैसे—भगवान ही हमारे जीवन धन हैं। ५. जन्म, कुंडली में जन्म लग्न से दूसरा स्थान, जिसे देखकर यह विचार किया जाता है कि अमुक व्यक्ति धनी होगा या निर्धन। ६. लेन-देन में उधार दी हुई वह रकम, जिसमें अभी ब्याज का सूद न जोड़ा गया हो। मूल। ७. गणित में, जोड़ने या मिलाने का वह चिह्न, जो इस प्रकार लिखा जाता है-+। ८. व्यवहार में, वह स्थिति, जिसमें किसी विशिष्ट गुण, तथ्य, तत्त्व या वस्तु की सत्ता वर्तमान होती है अभाव नहीं होता। ‘ऋण’ का विपर्याय। जैसे—धन विद्युत्। ९.खनकों की परिभाषा में, खान से निकली और बिना साफ की हुई कच्ची धातु। वि० १. लेखे आदि में जो ‘हाँ’ के पक्ष का हो। २. हिसाब-किताब में जो जोड़ा या बढ़ाया जाने को हो। ३. किसी के यहाँ से अमानत या उधार के रूप में आया हुआ। जो हिसाब-किताब में किसी के नाम से जमा हो। (क्रेडिट) ४. दे० ‘सहिक’। वि०=धन्य। उदा०—धन धन भारत की छत्रानी।—भारतेन्दु।a स्त्री० [सं० धन्या] १. पत्नी या वधू। २. सुन्दर या स्नेह-पात्र युवती या स्त्री। पुं० हिं० धान का संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक शब्दों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता है। जैसे—धन-कटी, धन-कर, धन-कुट्टी आदि-आदि।a |
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धनई :
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स्त्री०=धनुई (छोटा धनुष)।a |
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धनक :
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पुं० [सं०] १. धन पाने की इच्छा। २. लालच। लोभ। ३. राजा कृतवीर्य के पिता का नाम। स्त्री० [सं० धनुष] स्त्रियों की एक प्रकार की ओढ़नी।a पुं० १. धनुष। २. इंद्र धनुष।a |
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धन-कटी :
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स्त्री० [हिं० धान+कटना] १. धान की कटाई या उसका समय। २. पुरानी चाल का एक प्रकार का कपड़ा। |
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धन-कर :
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पुं० [हिं० धान+कर (प्रत्य०)] १. वह कड़ी मिट्टी, जिसमें धान बोया जाता है और जिसमें बिना अच्छी वर्षा हुए हल नहीं चल सकता। २. वह खेत जिसमें धान होता है। |
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धन-कुट्टी :
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स्त्री० [हिं० धान+कूटना] १. धान कूटने की क्रिया, भाव या मजदूरी। २. धान कूटने का मूसल या ऊखल। ३. खूब अच्छी तरह मारने-पीटने की क्रिया या भाव। (परिहास और व्यंग्य) ४. लाल रंग का एक तरह का फतिंगा जो अपना धड़ इस प्रकार ऊपर नीचे हिलाता है, जिस प्रकार धान कूटने की ढेकली हिलती है। |
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धन-कुबेर :
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पुं० [हिं० धन=कुबेर] बहुत बड़ा धनवान और सम्पन्न व्यक्ति। |
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धन-केलि :
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पुं० [ब० स०] कुबेर। |
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धन-कोटा :
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पुं० [देश०] हिमालय के कुछ भागों में होनेवाला एक तरह का पौधा जो कागज बनाने के काम आता है। चमोई सतबखा। सतपुरा। |
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धनखर :
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पुं० [हिं० धान] धान बोने का खेत। धन्नऊँ।a |
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धन-चिड़ी :
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स्त्री० [हिं० धान+चिड़ी] एक तरह की चिड़िया। |
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धन-जन :
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पुं० [सं० धन+जन] १. वह व्यक्ति जिसके पास धन-दौलत हो। उदा०—करत रहत धन-जन के, चरन की गुलामी।—हरिश्चन्द्र। २. धन-संपत्ति और व्यक्ति। जैसे—इस आँधी पानी में धन-जन का भी कुछ नाश हुआ है। |
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धन-तेरस :
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स्त्री० [सं० धन=हिं० तेरस (त्रयोदशी)] कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी। इस दिन धन की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है। |
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धन-दंड :
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पुं० [तृ० त०] अर्थ-दंड। जुरमाना। |
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धनद :
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वि० [सं० धन√दा (देना)+क] [स्त्री० धनदा] १. धन देनेवाला। २. उदार तथा दानी (पुरुष)। पुं० १. कुबेर। २. अग्नि। आग। ३. चित्रक या चीता नामक वृक्ष। ४. समुद्र-फल। हिज्जल। ५. धनपति नामक वायु। ६. हिमालय में उत्तरा खंड के अन्तर्गत एक प्राचीन तीर्थ। |
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धनद-तीर्थ :
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[सं० कर्म० स०] कुबेर तीर्थ जो ब्रज मंडल में है। |
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धनदा :
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स्त्री० [सं० धनद+टाप्] आश्विन कृष्ण एकादशी। स्त्री० सं० ‘धनद’ का स्त्री०। |
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धनदाक्षी :
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स्त्री० [सं० धनद-अक्षि, ब० स०+ङीष्] लता करंज। |
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धनदायन :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का पौधा जिसके काढ़े से ऊनी कपड़ों पर माड़ी लगाते हैं। |
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धन-देव :
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पुं० [ष० त०] धन के स्वामी; कुबेर। |
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धन-धानी :
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स्त्री० [ष० त०] कोष। खजाना। |
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धन-धान्य :
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पुं० [द्व० स०] धन और खाद्य पदार्थ। |
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धन-धाम :
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पुं० [द्व० स०] धन बार और धन-संपत्ति। |
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धन-धारी (रिन्) :
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पुं० [सं० धन√धृ (धारण)+णिनि] १. कुबेर। २. धनवान। |
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धननंद :
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पुं० [सं०] सिंहल का महावंश (ग्रंथ) के अनुसार मगध के नंद वंश का अंतिम राजा, जिसका नाश चाणक्य ने किया था। |
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धन-नाथ :
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पुं० [ष० त०] कुबेर। |
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धन-नायकी :
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स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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धन-पक्ष :
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पुं० [ष० त०] १. बही-खाते आदि में वह पक्ष या विभाग जिसमें दूसरों से मिलनेवाले रुपये या अन्य चीजें और उनका मूल्य लिखा जाता है। जमावाला पक्ष। (क्रेडिट साइड) २. वह पक्ष जिसमें पूँजी, लाभ या उपयोगी बातों का विचार या उल्लेख हो। |
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धन-पति :
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पुं० [ष० त०] १. कुबेर। २. धनवान व्यक्ति। ३. पुराणानुसार एक वायु का नाम। |
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धन-पत्र :
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पुं० [ष० त०] १. शासन या सरकार द्वारा प्रचलित किया हुआ वह मुद्रित कागज का टुकड़ा जो सिक्कों के सदृश और उनके स्थान पर लेन-देन में काम आता है। (करेन्सी नोट)। २. बही-खाता।a |
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धन-पात्र :
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पुं० [ष० त०] धनवान्। धनी। |
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धनपाल :
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वि० [सं० धन√पाल् (रक्षा)+क] धन का रक्षक। पुं०=कुबेर। |
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धन-पालिनी :
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स्त्री० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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धन-प्रयोग :
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पुं० [ष० त०] व्यापार में धन लगाने या ब्याज पर उधार देने का कार्य। पूंजी का उपयोग। |
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धन-प्रिया :
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स्त्री० [उपमि० स०] एक प्रकार का छोटा जामुन। |
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धन-बहेड़ा :
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पुं० दे० ‘अमलतास’ (वृक्ष)। |
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धन-मद :
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पुं० [ष० त०] वह अभिमान या मद। जो पास में यथेष्ठ धन होने पर होता है। |
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धनमान :
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वि०=धनवान्। |
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धनमाली :
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पुं० [सं०] अस्त्रों का एक प्रकार का संहार। |
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धन-राशि :
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स्त्री० [ष० त०] १. धन का ढेर। २. बहुत अधिक धन। ३. लेन-देन आदि विशेष कार्यों के लिए देय या प्राप्य नियत धन। रकम। (एमाउन्ट, सम) |
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धनवंत :
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वि० [स्त्री० धनवंती]=धनवान्। |
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धनवती :
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स्त्री० [सं० धनवत्+ङीप्] धनिष्ठा नक्षत्र। वि० सं० ‘धनवान’ का स्त्री०। |
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धनवा :
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पुं० [हिं० धान] एक प्रकार की घास। पुं०=धन्वा (धनुष)।a |
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धनवान् (वत्) :
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वि० [सं० धन+मतुप्] [स्त्री० धनवती] जिसके पास अत्यधिक या बहुत धन हो। धनी। दौलत-मंद। |
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धन-विधेयक :
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पुं० [ष० त०] वह अर्थ-संबंधी विधेयक, जो विधान सभा के समक्ष विचारार्थ रखा जाता है, और जिसमें किसी माँग की स्वीकृति के लिए अथवा कोई नया कर लगाने का प्रस्ताव होता है। (मनी बिल) |
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धनशाली (लिन्) :
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वि० [सं० धन√शाल् (शोभित होना)+ णिनि] [स्त्री० धनशालिनी] धनवान्। धनी। |
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धन-संपत्ति :
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स्त्री० [द्व० स०] सभी प्रकार की वे वस्तुएँ जिनका अधिक मूल्य हो तथा जिनका क्रय-विक्रय हो सकता हो। रुपये जमीन-जायदाद आदि मूल्यवान् वस्तुएँ। २. किसी व्यक्ति, समाज, राष्ट्र आदि के अधिकार में रहनेवाली उक्त वस्तुएँ। |
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धनसार :
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पुं० [हिं० धान+सार (शाला)] अनाज आदि रखने की ऐसी कोठरी जिसमें केवल दो खिड़कियाँ क्रमात् अनाज रखने और निकालने के लिए होती हैं। |
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धनसिरी :
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स्त्री० [सं० धन+श्री] एक प्रकार की चिड़िया। |
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धनसू :
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पुं० [सं०] धनेस नाम की चिड़िया। |
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धनस्यक :
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वि० [सं० धन+क्यच्, सुक्+ण्वुल्—अक] जिसे धन की लालसा हो। पुं० गोखरू (वनस्पत्ति)। |
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धन-स्वामी (मिन्) :
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पुं० [ष० त०] कुबेर। |
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धनहर :
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वि० [सं० धन√हृ (हरण)+ट] धन का अपहरण करनेवाला। पुं० १. चोर। २. डाकू। लुटेरा। ३. चोर नामक गंधद्रव्य। पुं०=धनखर।a |
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धन-हीन :
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वि० [तृ० त०] जिसके पास धन न हो। निर्धन। गरीब। |
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धनांक :
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पुं० [सं० धन-अंक, ष० त०] लेन-देन आदि के लिए किसी निश्चित धन राशि का सूचक शब्द। धन-राशि। रकम (एमाउन्ट)। |
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धना :
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स्त्री० [सं० धनिका, हिं० धनिया=युवती] १. युवती। २. वधू। स्त्री० [?] संगीत में एक प्रकार की रागिनी। पुं०=धनिया।a |
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धनाग्र :
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पुं० [धन-अग्र, ष० त०] विद्युत-शास्त्र में धन दण्ड का वह भाग जिसमें विद्युत निकलकर ऋणदंड में पहुँचती है। (एनोड) |
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धनाढ़य :
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वि० [धन-आढ़य तृ० त०] बहुत बड़ा धनी। धनवान्। |
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धनाणु :
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पुं० [सं० धन-अणु, ष० त० ?] वह अणु जो सदा धनात्मक विद्युत से आविष्ट रहता है। (पाजिटिव) |
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धनात्मक :
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वि० [धन-आत्मन्, ब० स०, कप्] १. धन-पक्ष संबंधी। २. धनवाले तत्त्व से युक्त। विशेष दे० ‘सहिक‘। |
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धनादेश :
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पुं० [धन-आदेश ष० त०] १. किसी को कुछ धन देने का आदेश या आज्ञा। २. डाकखाने के द्वारा किसी अन्य स्थान पर रहनेवाले व्यक्ति को भेजा जानेवाला धन। (मनी आर्डर)। ३. किसी बैंक (अधिकोष) को, जिसमें किसी व्यक्ति का हिसाब हो, दिया गया इस आशय का लिखित आदेश कि वाहक अथवा अमुक निर्दिष्ट व्यक्ति को लिखित रकम मेरे खाते से दे दें। (पे आर्डर) |
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धनाध्यक्ष :
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पुं० [धन-अध्यक्ष, ष० त०] १. कोषाध्यक्ष। खजानची। २. कुबेर। |
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समानार्थी शब्द-
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धनाना :
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अ० [सं० धेनु=नवसूतिका गाय] साँड़ आदि के संयोग से गाय, भैंस आदि का गर्भवती होना। स० गाय, भैंस आदि का गर्भाधान कराना। |
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धनापहार :
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पुं० [धन-अपहार, ष० त०] १. अर्थदंड। जुरमाना। २. लूट। |
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समानार्थी शब्द-
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धनार्चित :
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वि० [धन-अर्चित, तृ० त०] धन आदि की भेंट देकर सम्मानित या संतुष्ट किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनार्थी :
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वि० [सं० धन√अर्थ (चाहना)+णिनि] धन का इच्छुक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनाश्री :
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स्त्री० [सं०] संगीत में ओड़व-संपूर्ण जाति की एक रागिनी। जो हनुमत् के मत से श्रीराग की तीसरी पत्नी है। इसका प्रयोग प्रायः वीर रस में होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनासी :
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स्त्री० [सं० धन्या+श्री] १. पत्नी। २. प्रेमिका।b |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनि :
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स्त्री० [सं० धनी] १. युवती स्त्री। २. पत्नी। वधू। वि०=धन्य। उदा०—धनि धनि भारत की छत्रानी।—भारतेन्दु। |
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समानार्थी शब्द-
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धनिक :
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वि० [सं० धन+ठन्—इक] [स्त्री० धनिका] जिसके पास धन हो। धनी। पुं० १. धनवान् व्यक्ति। अमीर। २. स्त्री का पति। स्वामी। ३. वह जो लोगों को धन उधार देता हों। महाजन। ४. [धनिक√कै+क] धनिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिक-तंत्र :
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पुं० [ष० त०] [वि० धनिक-तंत्री] आधुनिक राजनीति में, ऐसी शासन-प्रणाली जिसमें शासन का वास्तविक सूत्र प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से देश के बड़े-बड़े धनवानों के ही हाथ में रहता हो। (प्लुटो क्रैसी) विशेष—ऐसी प्रणाली राजसत्ताक देशों में भी होती सकती है और प्रजासत्ताक देशों में भी। (ख) इंग्लैड और अमेरिका की आधुनिक शासन-प्रणालियाँ मुख्यतः धनिक-तंत्री ही मानी जाती हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिका :
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स्त्री० [सं० धनिक+टाप्] १. धनी स्त्री। २. युवती और सुन्दर स्त्री। ३. पत्नी। वधू। ४. प्रियंगु वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिता :
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स्त्री० [सं० धनिक+तल्—टाप्] धन-संपन्न होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनियाँ :
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पुं०, स्त्री०=धनिया।a |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिया :
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पुं० [सं० धन्याक,धनिका] एक प्रकार का छोटा पौधा, जिसके सुगंधित बीज मसाले के काम में आते हैं; और इसकी सुगंधित पत्तियों की चटनी बनाई जाती है। २. उक्त पौधे के बीज, जो मसाले के रूप में बाजार में मिलते हैं। वैद्यक में इसे त्रिदोषनाशक, तथा खाँसी और कृमिघ्न माना गया है। मुहा०—(किसी को) धनिये की खोपड़ी का पानी पिलाना=बहुत तंग या परेशान करना। (स्त्रियाँ) स्त्री० [सं० धन्या] १. पत्नी। वधू। २. सुन्दर और स्नेह पात्र स्त्री। प्रेमिका। उदा०—कोठवा पर से झाँकैली बारी से धनियाँ, से नासि अइलैना। (पूरबी लोकगीत) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिया-माल :
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स्त्री० [हिं० धनी+माला] गले में पहनने का एक तरह का गहना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिष्ट :
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वि० [सं० धनिन्+इष्ठन्, इन-लोप] [स्त्री० धनिष्ठा] धनी। धनाढ्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनिष्ठा :
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स्त्री० [सं० धनिष्ठ+टाप्] सत्ताईस नक्षत्रों में से तेइसवाँ नक्षत्र जो 9 ऊर्ध्वमुख नक्षत्रों में से एक है और जिसमें पाँच तारे हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनी (निन्) :
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पुं० [सं० धन+इनि] १. जिसके पास धन हो। धनवान्। मालदार। दौलतमंद। २. मालिक। स्वामी। ३. वह जो किसी चीज का मालिक हो अथवा उसे अपनी समझकर उसकी देख-रेख करता हो। पद—धनी-धोरी=मालिक और रक्षक। जैसे—जान पड़ता है कि इस मकान का कोई धनी-धोरी ही नहीं है। धनी सिर जोखिम=दे० ‘जोखिम’ के अंतर्गत ‘जोखिम धनी सिर’। बात का धनी=अपनी कही हुई बात या दिए हुए वचन पर दृढ़ रहनेवाला। ५. स्त्री का पति। शौहर। ६. वह जो किसी प्रकार के कौशल, गुण आदि में बहुत श्रेष्ठ हो। जैसे—तलवार का धनी=तलवार चलाने में बहुत कुशल। बात का धनी=अपनी बात या वचन का पक्का और पूरी तरह से पालन करनेवाला। स्त्री० [सं० धन+अच्—ङीष्] १. पत्नी। वधू। २. स्नेह-पात्री युवती। प्रेमिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनी-मानी :
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वि० [हिं०] जिसके पास यथेष्ट धन भी हो और जिसका अच्छा मान या प्रतिष्ठा भी हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनीयक :
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पुं० [सं० धन+छ—ईय+कन्] धनिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुःपट :
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पुं० [सं० धनुस्-पट् ब० स०] पयाल वृक्ष। चिरौंजी का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुःशाखा :
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पुं० [सं० धनुस्-शाखा ब० स०] पयाल वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुःश्रेणी :
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स्त्री० [सं० धनुस्-श्रेणी, ष० त०] १. मूर्वा। मुर्रा। २. महेन्द्र-वारुणी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनु :
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पुं० [सं०√धन (शब्द)+उ] १. धनुष। चाप। कमान। २. चार हाथ लंबी एक पुरानी नाप। ३. किसी गोलाकार क्षेत्र का आधे से कम भाग जो धनुष के आकार का होता है। ४. ज्योतिष की बारह राशियों में से नवीं राशि, जिसके अंतर्गत मूल और पूर्वाषाढ़ नक्षत्र तता उत्तराषाढ़ा का एक चरण आता है। इसे तौक्षिक भी कहते हैं। ५. फलित ज्योतिष में एक लग्न। ६. हठ योग में, एक प्रकार का आसन। ७. पयाल वृक्ष। ८. नदी का रेतीला किनारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुआ :
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पुं० [सं० धन्वन्, धन्वा] [स्त्री० अल्पा० धनुई] १. धनुष। कमान। २. धनुष के आकार का वह उपकरण जिससे धुनिए रूई धुनते हैं। धुनकी। धन्वा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुई :
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स्त्री० [सं० धनु+ई (प्रत्य०)] १. छोटा धनुष। २. धुनकी।a |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुक :
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पुं० [सं० धनुष] १. कमान। धनुष। उदा०—भौहें धनुक साँधि सर फेरी।—जायसी। २. इंद्रधनुष।a |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुकना :
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स०=धुनकना।a |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुक-बाई :
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स्त्री० [हिं० धनुक+बाई] लकवे की तरह का एक वायु रोग जिसमें जबड़े आपस में सट जाते हैं और मुँह नहीं खुलता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनु-पानि :
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पुं० [सं० धनुष्+पाणि=हाथ] १. वह जिसके हाथ में धनुष हो। २. धनुर्द्धर। रामचन्द्र।b |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्गुण :
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पुं० [सं० धनु—गुण, ष० त०] धनु की चोरी। पतंचिका। चिल्ला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्गुणा :
|
स्त्री० [सं० धनुस्-गुण ब० स०, टाप्] मूर्वा। मरोड़-फली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्ग्रह :
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पुं० [सं० धनुस्√ग्रह् (पकड़ना)+अच्] १. धनुष-चलानेवाला योद्धा। २. धनुर्विद्या। ३. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्द्धर :
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पुं० [सं० धनुस्√धृ (धारण)+अच्] १. धनुष धारण करने वाला और चलाने वाला व्यक्ति। कमनैत। तीरंदाज। २. धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्द्धारी (रिन्) :
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वि० [सं० धनुस्√धृ+णिनि] [स्त्री० धनुर्द्धारिणी] धनुष धारण करने वाला। पुं० [सं०] धनुष रखने और चलानेवाले योद्धा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्द्रुम :
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पुं० [सं० धनुस्-द्रुम, ष० त०] बाँस। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्भृत् :
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पुं० [सं० धनुस्√भृ (धारण+क्विप्] धनुष धारण करनेवाला योद्धा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धनुर्मुख :
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पुं० [सं० धनुस्-मख, मध्य० स०] धनुर्यज्ञ |
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समानार्थी शब्द-
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धनुर्माला :
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स्त्री० [सं० धनुस्-माला, ष० त०] मूर्वा। मरोड़फली। |
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धनुर्यज्ञ :
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पुं० [सं० धनुस-यज्ञ, तृ० त०] १. प्राचीन भारत का एक प्रकार का उत्सव जिसमें धनुष का पूजन तथा उसे चलाने की प्रतियोगिता होती थी। २. उक्त प्रकार का वह समारोह जो जनक ने सीता के स्वयंवर के समय किया था। |
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धनुर्यासा :
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पुं० [सं० धनुस्-यास्, उपमि० स०] जवासा। |
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धनुर्लता :
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स्त्री० [सं० धनुस्-लता, उपमि० स०] सोमलता। |
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धनुर्वक्त्र :
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पुं० [सं० धनुष्-वक्त्र, ब० स०] कार्तिकेय के एक अनुचर का नाम। |
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धनुर्दात :
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पुं० [सं०] १. एक प्रकार का वायु रोग, जिससे शरीर धनुष की तरह झुककर टेढ़ा हो जाता है। २. धनुक-बाई नामक रोग। ३. शरीर के घाव या व्रण के विषाक्त होने पर होनेवाला उक्त रोग। धनुष टंकार। (टिटैनस) |
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धनुर्विद्या :
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स्त्री० [सं० धनुष्-विद्या ष० त०] धनुष चलाने की विद्या। तीरंदाजी। |
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धनुर्वृक्ष :
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पुं० [सं० धनुस्-वृक्ष ष० त०] १. धामिन का पेड़। २. बाँस। ३. भिलावाँ। ४. पीपल का वृक्ष। |
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धनुर्वेद :
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पुं० [सं० धनुष्-वद ष० त०] यजुर्वेद का उपवेद जिसमें विशेष रूप से धनुष चलाने की विद्या का निरूपण है। |
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धनुष (स्) :
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पुं० [सं०√धन् (शब्द)+उस्] १. अर्ध गोलाकार का एक उपकरण जो बाँस या लोहे के लचीले डंडे को झुकाकर और उनके छोरों के बीच डोरी या ताँत बाँधकर बनाया जाता है। और जिसपर तानकर तीर दूर फेंका जाता है। कमान। २. दूरी की चार हाथ की एक पुरानी नाप। ३. रहस्य संप्रदाय में, परमात्मा का ध्यान। ४. हठयोग का एक आसन। ५. चिरौंजी का पेड़। पयाल। |
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धनुष-टंकार :
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पुं० [सं०] १. धनुष की प्रत्यंचा के हिलने से होने वाला शब्द। २. एक घातक रोग जिसमें व्रण आदि के विषाक्त होने पर शरीर अकड़कर धनुष के समान टेढ़ा हो जाता है। धनुर्वात। (टिटैनस) |
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धनुष-यज्ञ :
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पुं० =धनुयज्ञ। |
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धनुष्कोटि :
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पुं० [सं०] रामेश्वर से दक्षिण पूर्व का एक स्थान, जहाँ समुद्र में स्नान करने का माहात्म्य है। |
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धनुष्मान (ष्मत्) :
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पुं० [सं० धनुष+मतप्] उत्तर दिशा का एक पर्वत। (बृहत्संहिता) |
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धनुस :
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पुं० =धनुष। |
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धनुस्स्वन :
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पुं० [सं०] धनुष की टंकार। |
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धनुहाई :
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स्त्री० [हिं० धनु+हाई] १. धनुष से तीर चलाने की कला या विद्या। २. तीर-धनुष से होनेवाला युद्ध या लड़ाई। |
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धनुहिया :
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स्त्री०= धनुही।a |
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धनुही :
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स्त्री० [हिं० धनु+ही (प्रत्य०)] लड़कों के खेलने की छोटी कमान।a |
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धनू :
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स्त्री०[सं०√धन् (शब्द)+उ] धनुष। पुं० अन्न का भण्डार। |
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धनूयक :
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पुं० [सं०] धनिया। |
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धनेश :
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पुं० [सं० धन-ईश, ष० त०] १. धन का स्वामी। २. कुबेर। ३. विष्णु। ४. जन्म-कुण्डली में लग्न से दूसरा स्थान जिसके अनुसार व्यक्ति की धन-संपन्नता का विचार होता है। |
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धनेश्वर :
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पुं० [सं० धन-ईश्वर, ष० त०] १. धन का स्वामी। २. कुबेर। ३. विष्णु। |
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धनेस :
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पुं० [देश०] लंबी गरदन तथा लंबी चोंचवाली एक तरह की बगले के आकार की चिड़िया। |
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धनैषणा :
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स्त्री० [सं० धन-एषणा ष० त०] धन पाने की इच्छा। |
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धनैषी (षिन्) :
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वि० [सं० धन√इष् (चाहना)+णिनि] धन पाने का इच्छुक। धन चाहने वाला। |
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धनोष्मा (मन्) :
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स्त्री० [सं० धन-ऊष्मन्, ष० त०] धन की गरमी या घमंड। |
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धन्न :
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वि०=धन्य।b |
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धन्ना :
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पुं० = धरना।a पुं० १. दे० ‘धन्नाभगत’। २. दे० ‘धन्ना सेठ’। |
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धन्नाभगत :
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पुं० [?] राजस्थान के एक प्रसिद्ध जाट भक्त जो ई० १ ५वीं शताब्दी में हुए थे। |
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धन्नासिका :
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स्त्री० [सं०] एक रागिनी जिसका ग्रह षड़ज है और जिसमें ऋ वर्जित है। |
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धन्नासेठ :
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पुं० [हिं० धन+सेठ] बहुत बड़ा धनवान् व्यक्ति। (परिहास और व्यंग्य) पद—धन्ना सेठ का नाती=अमीरे घराने में पैदा व्यक्ति। (परिहास और व्यंग्य) |
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धन्नि :
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स्त्री०=धन्या।a |
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धन्नी :
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स्त्री० [सं० (गो)धन] १. गायों, बैलों की एक जाति जो पंजाब में होती है। २. घोड़ों की एक जाति। पुं० [?] वह आदमी जो किसी काम के लिए बेगार में पकड़ा गया हो।a |
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धन्यमन्य :
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वि० [सं० धन्य√मन् (मानना)+खश्, मुम्] अपने को धन्य या भाग्यशाली माननेवाला। |
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धन्य :
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वि० [सं० धन+यत्] [स्त्री० धन्या] [भाव० धन्यता] १. जिसमें कोई ऐसी बहुत बड़ी योग्यता विशेषता हो, जिसके कारण सब लोग उसका अभिनन्दन और प्रशंसा करें। अच्छे काम करने वाला और पुण्यवान। सुकृति। २. कृतार्थ। जैसे—आपके इस कुटिया में पधारने से हम धन्य हुए। ३. धन देने वाला। धनद। पुं० १. विष्णु। २. नास्तिक। ३. धनिया। ४. अश्वकर्ण वृक्ष। |
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धन्यता :
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स्त्री० [सं० धन्य+तल्—टाप्] धन्य होने की अवस्था या भाव। |
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धन्य-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] १. किसी को धन्य कहना या मानना। प्रशंसा। वाह-वाही। साधुवाद। २. एक प्रकार का औपचारिक या हार्दिक कथन जिसमें किसी के प्रति उसके द्वारा किये हुए अनुग्रह, कृपा आदि के लिए कृतज्ञता का भाव निहित होता है। जैसे—(क) आपका पत्र मिला; एतदर्थ धन्यवाद। (ख) इस उपहार के लिए धन्यवाद। |
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धन्या :
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स्त्री० [सं० धन्य+टाप्] १. वन-देवी। २. उप-माता। विमाता। ३. ध्रुव की पत्नी जो मनु की कन्या थी। ४. धनिया। ५. छोटा आँवला। वि० स्त्री० ‘धन्य’ का स्त्री रूप। |
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धन्याक :
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पुं० [सं०√धन्+आकन, नि० सिद्धि] धनिया। |
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धन्वंग :
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पुं० [सं० धनु-अंग, ब० स०] धामिन का पेड़। |
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धन्वंतर :
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पुं० [सं०] चार हाथ की एक प्राचीन माप। |
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धन्वंतरि :
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पुं० [सं० धनु-अंत, ष० त०, धन्वत√ऋ (गति)+इ] १. देवताओं के प्रधान चिकित्सक जिनके संबंध में प्रसिद्ध है कि वे समुद्र मंथन के समय हाथ में अमृत का पात्र लिए हुए उसमें से प्रकट हुए थे। २. विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक। |
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धन्व :
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पुं० [सं०√धन् (शब्द)+वन्] १. धनुष। २. मरु- प्रदेश रेगिस्तान। |
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धन्वज :
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वि० [सं०√जन् (उत्पत्ति)+ड] रेगिस्तान में उपजने या जनमनेवाला। |
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धन्व-दुर्ग :
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पुं० [सं० मध्य० स०] मरुभूमि में स्थित दुर्ग। |
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धन्वन :
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पुं० [सं०√धन्व्+ल्यु—अन] धामिन का पेड़। |
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धन्व-यवास :
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पुं० [सं० मध्य० स०] दुरालभा। जवासा। |
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धन्वा (न्वन्) :
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पुं० [सं०√धन्व् (गति)+कनिन्] १. धनुष। कमान। २. मरुभूमि। रेगिस्तान। ३. सूखी जमीन (स्थल)। ४. आकाश। |
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धन्वाकार :
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वि० [सं० धन्वन्-आकार, ब० स०] कमान या धनुष के आकार का। अर्द्ध चन्द्राकार। |
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धन्वायी (यिन्) :
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वि० [सं० धन्वन्√इ (गति)+णिनि] धनुर्द्धर। पुं० रुद्र का एक नाम। |
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धन्विन :
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पुं० [सं० धन्व+इनन्] शूकर। सूअर। |
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धन्वी (न्विन्) :
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वि० [सं० धनु+इनि] १. धनु धारण करने वाला। २. चतुर। होशियार। पुं० १. पाँचों पाण्डवों में से अर्जुन का एक नाम। २. अर्जुन वृक्ष। ३. बकुल। मौलसिरी। ४. जवासा। ५. विष्णु। ६. शिव। तामस मनु का एक पुत्र। |
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